Śrīkoṣa
Chapter 27

Verse 27.23

व्योमेशोर्ध्वविसृष्ट्यन्त इति रूपचतुष्टये।
ऐहिकी परमा सिद्धिस्तत्तच्चामुत्रिकी(तत्र चामुष्मिकी D.; तत्र चामुत्रिकी I.) परा ॥ 23 ॥