Śrīkoṣa
Chapter 29

Verse 29.43

नाभौ सूर्येन्दुभारूपं (श्रियास्तारं A. B. C.; श्रितद्वारं I.)श्रितं स्वारं द्विरष्टकम्।
कादिभान्तं त्रिरष्टारं(द्विषट्‌कारं A. B. C. D. I.) मादिहान्तं तु नेमिगम् ॥ 48 ॥