Śrīkoṣa
Chapter 32

Verse 32.34

पराया इति ते प्रोक्ता मम तन्वा गतिस्रयी।
रूपं रूपं विभज्यैषा तत्तत्तत्त्वार्णभेदिनी ॥ 37 ॥