Śrīkoṣa
Chapter 34

Verse 34.128

दर्भे चर्मणि वस्रे वा फलके यज्ञकाष्ठजे।
अभिवन्द्य हरिं मां च भक्त्यैव(एवं B.) गुरुसंततिम् ॥ 136 ॥