Śrīkoṣa
Chapter 36

Verse 36.57

पुरा ध्यात्वा हृषीकेशं प्रसन्नमुखपङ्कजम्।
पुराष्टादशभिर्भोगैरर्चयेत् पुरुषोत्तमम् ॥ 64 ॥