Śrīkoṣa
Chapter 36

Verse 36.115

गम्भीरनाभिं(नाभि B. F.) त्रिवलीविभूषिततनूदराम्।
सुकर्कशदृढोत्तुङ्गपीनवृत्तघनस्तनीम् ॥ 126 ॥