Śrīkoṣa
Chapter 37

Verse 37.34

अर्चयेन्मूलमन्त्रेण (मुक्तौघ B.)ह्यामुक्तकुसुमादिभिः।
अर्घ्यपात्रमथादाय पुष्पं धूपं विलेपनम् ॥ 41 ॥