Śrīkoṣa
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Chapter 49
Verse 49.1
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एकोनपञ्चाशोऽध्यायः - 49
श्रीः---
चतुर्थी या तनुर्मान्त्री मायाख्या मम वासव।
तस्या विधानमधुना शृणु मन्त्रक्रियान्वितम् ॥ 1 ॥
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