Śrīkoṣa
Chapter 50

Verse 50.187

सूक्तार्थमनुसंस्मृत्य चिरं सूक्तमधीत्य च।
लब्धे चित्तप्रसादे तु मां प्रपद्येत वै गतिम् ॥ 212 ॥