Śrīkoṣa
Chapter 14

Verse 14.58

संप्राप्य ज्ञानसद्भावं योगक्षपितबन्धनः(कल्मषः E. I.)।
मामेव परमानन्दमयीं लक्ष्मीं स विन्दति ॥ 58 ॥