Śrīkoṣa
Chapter 16

Verse 16.20

वैधर्म्यमनयोरेतत् प्रकृतिं चानयोः शृणु।
या सा सदसदाख्यादिविकल्पविकला(विपुला C. D.) ध्रुवा ॥ 20 ॥