Śrīkoṣa
Chapter 17

Verse 17.43

वासुदेव जगन्नाथ संकर्षण जगत्प्रभो।
प्रद्युम्न (सर्वग E. I.)सुभग श्रीमन्ननिरुद्धापराजित ॥ 43 ॥