Śrīkoṣa
Chapter 2

Verse 2.32

जगद्भावेऽपि सा नास्ति (प्रकृतिः I.)विकृतिर्मम नित्यदा।
विकारविरहो वीर्यमतस्तत्त्वविदां मतम् ॥ 32 ॥