Śrīkoṣa
Chapter 18

Verse 18.17

अवबोधात्मिकाया मे या प्रत्यगवमर्शिता(अवमर्शिनी C.)।
सा स्फुरत्ता महानन्दा शब्दब्रह्मेति गीयते ॥ 17 ॥