Śrīkoṣa
Chapter 4

Verse 4.52

आचार्य श्रीपाद तीर्ध महिमा
आचार्यपदतीर्धंच प्रसन्नस्यपदोदकं।
सर्वदापानवंप्रोक्तं सर्वपातक नाशनं।। 52