Śrīkoṣa
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Chapter 7
Verse 7.57
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देवद्रव्यहरणं भगवत्सेवकोपादि भंगकरणं तद्भलितंच
देवद्रव्यापहरणं महापातक मीरितं।
भगवत्सेवकोपादि भंगरकरणं तद्फलितंच
भगवत्सेवकानांतु उपाधौभंग कल्पनं।। 57
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