Śrīkoṣa
Chapter 30

Verse 30.151

ओमच्युत जगन्नाथ मन्त्रमूर्ते सनातन ।
रक्ष मां पुण्डरीकाक्ष क्षमस्वाज प्रसीद ओम् ॥ १५१ ॥