Śrīkoṣa
Chapter 33

Verse 33.163

स वै राग ? द्विजैश्वर्यमधिभूतं तदात्मकम् ।
अहङ्काराख्यत्त्वस्य बुद्धिरध्यात्ममब्जज ॥ १६४ ॥