Śrīkoṣa
Chapter 43

Verse 43.156

सदानमेवं निर्वर्त्य व्रतं वै देशिकादिजम् ।
वसेदाश्रित्य वै क्षेत्रं प्रसिद्धं सिद्धसेवितम् ॥ १५६ ॥