Śrīkoṣa
Chapter 16

Verse 16.63

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धावयेद् दन्तकाष्ठेन दन्तान् वै गुर्वनुज्ञया।
शिष्येण भूमौ निक्षिप्तं दन्तकाष्ठं रमे यदि।। 16.63 ।।