Śrīkoṣa
Chapter 17

Verse 17.39

मुद्राणां चक्रमुद्रा तु विष्णुसायुज्यसिद्धिदम्।
अग्निप्राकारमुद्रा तु सर्वसिद्धिकरी सदा।। 17.39 ।।