Śrīkoṣa
Chapter 17

Verse 17.54

अन्नादिकं वै निक्षिप्य दक्षिणेन च पाणिना।
विप्रो भुञ्जीत चेद्देवि स याति नरकं ध्रुवम्।। 17.54 ।।