Śrīkoṣa
Chapter 17

Verse 17.55

[स्वाध्यायं ब्रह्मयज्ञाय पठेदुच्चैश्च सस्वरम्।]
सायाह्नकाले संप्राप्ते वेदं वेदार्थमेव वा।। 17.55 ।।