Śrīkoṣa
Chapter 4

Verse 4.4

तन्मार्गं वद देवेश लोकस्य हितकाम्यया।
भगवान्-
पद्मस्थिते पद्महस्ते त्वत्प्रश्नसदृशोत्तरम्।। 4.4 ।।