Śrīkoṣa
Chapter 24

Verse 24.282

कुम्भात् पुष्पाञ्जलौ ध्यात्वा मूलबेरे नियोज्य च।
देवस्य मूर्ध्नि तत्कुम्भतोयं कूर्चेन सेचयेत्।। 24.282 ।।