Śrīkoṣa
Chapter 25

Verse 25.4

चण्डीं प्रचण्डीं च तथा द्वितीयद्वारपक्षयोः।
बलाकिनीं वन्यमालां कल्पयेच्छिल्पिसत्तमः।। 25.4 ।।