Śrīkoṣa
Chapter 28

Verse 28.105

वासुदेवं चतुर्थ्यन्तमृषिर्ब्रह्मास्य ईरितः।
छन्दस्तु देवी गायत्री वासुदेवस्तु देवता।। 28.105 ।।