Śrīkoṣa
Chapter 28

Verse 28.183

आवाहने तु मूलार्चाहृदब्जात्पात्रमन्ततम्।
देवं पिङ्गलया तत्तद्बिम्बहृत्सरसीरुहे।। 28.183 ।।