Śrīkoṣa
Chapter 29

Verse 29.36

गृहीत्वा पञ्चदश तु गृहीत्वा मुष्टिमुद्रया।
प्रज्वाल्य तालवृन्तेन वह्निं वाय्वधिपं स्मरन्।। 29.36 ।।