Śrīkoṣa
Chapter 29

Verse 29.174

चतुःषष्ट्युपचारैर्वा द्वात्रिंशद्भिरतापि वा।
षोडशैर्वापि संपूज्य हविर्देवनिवेदितम्।। 29.174 ।।