Śrīkoṣa
Chapter 33

Verse 33.82

पूर्णमेव भवेद्देव क्षन्तुमर्हसि सुव्रत।
ओमच्युत जगन्नाथ मन्त्रमूर्ते जनार्दन।। 33.82 ।।