Śrīkoṣa
Chapter 36

Verse 36.123

प्रणम्य दण्डवन्मूलं प्रार्थयेद् गाथयानया।
यज्ञमूर्ते जगन्नाथ पुण्यतीर्थ दयानिधे।। 35.123 ।।