Śrīkoṣa
Chapter 37

Verse 37.83

कौतुके यज्ञबल्योश्च बेरे कुम्भे विचिन्तिता।
करपुष्पाञ्जलौ शक्तिं संप्रार्थ्य पुरतो रमे।। 37.83 ।।