Śrīkoṣa
Chapter 47

Verse 47.22

संसारग्राहसंदष्टान् गजेन्द्रमिव मोचय।
भगवान्-
तव प्रियार्थं हे लक्ष्मीस्तथा वक्ष्यामि सुव्रते।। 47.22 ।।