Śrīkoṣa
Chapter 47

Verse 47.25

भगवन् पुण्डरीकाक्ष भक्तरक्षणदीक्षित।
लक्ष्म्यास्तव प्रियार्थाय प्रणयाद्युवयोर्हरे।। 47.25 ।।