Śrīkoṣa
Chapter 50

Verse 50.63

पद्मनाभो ध्रुवोऽनन्तो शक्त्यात्मा मधुसूदनः।
विद्याधिदेवः कपिलो विश्वरूपो विहंगमः।। 50.63 ।।