Śrīkoṣa
Chapter 13

Verse 13.140

तद्बाहुर्द्विकलं विद्धि उच्छ्रायेण द्विलोचनम्।
भुजोपभुजयुक्तं यत्तद् द्वितालसमं विदुः।। 13.140 ।।