Śrīkoṣa
Chapter 15

Verse 15.3

दक्षिणोत्तरपार्श्वस्थौ मुनिवेषौ गदाधरौ।
चण्डप्रचण्डौ कर्तव्यौ लोहैर्वा शिलयापि वा।। 15.3 ।।