Śrīkoṣa
Chapter 16

Verse 16.19

सोष्णीषं गुरुमाचान्तमभिवाद्य प्रसाद्य च।
यथालाभं सुवर्णादि दद्याद् देवमनुस्मरन्॥ 16.19 ॥