Śrīkoṣa
Chapter 17

Verse 17.8

आद्यावकारौ बुद्ध्याख्यौ इकारौ चाप्यहङ्कृतिः।
मनो द्वौ तत्परौ व्योमपञ्चतत्त्वं स्वरान्तिकम्॥ 17.8 ॥