Śrīkoṣa
Chapter 22

Verse 22.32

दिव्यन्तरिक्षभूमिस्था मङ्गलं प्रदिशन्तु नः।
धरा ध्रुवश्च सोमश्च आपश्चैवानलोऽनिलः॥ 22.32 ॥