Śrīkoṣa
Chapter 27

Verse 27.37

आपगावायुविष्णुभ्यो मरुद्भ्यो जातवेदसे।
इन्द्राय सर्वलोकेभ्यो ब्रह्मणे विश्वकर्मणे॥ 27.37 ॥