Śrīkoṣa
Chapter 27

Verse 27.65

अनुक्तमन्त्रकार्येऽत्र गायत्रीं वैष्णवीं वदेत्।
तच्छेषेण ततो दद्यात् पार्षदेभ्यो बलिं क्रमात्॥ 27.66 ॥