Śrīkoṣa
Chapter 12

Verse 12.25

सर्वसारं तु सर्वत्र चिञ्चादि परिकीर्त्तितम्।
अन्तस्सारं तथा विद्याद् बहिस्सारमसारवत्॥ 12.25 ॥