Śrīkoṣa
Chapter 14

Verse 14.15

पात्रशुद्धिरिह प्रोक्ता हविःसङ्ख्या(?)प्रचक्षते ।
उत्तमोत्तममित्युक्तमष्टद्रोणैस्तु पूरितम् ॥ १४।१६ ॥