Śrīkoṣa
Chapter 15

Verse 15.24

मकुटाङ्गदचित्राङ्गं नीलकुञ्चितमूर्धजम् ।
दिव्यमाल्याम्बरधरं दिव्यरत्नविराजितम् ॥ १५।२४ ॥