Śrīkoṣa
Chapter 11

Verse 11.264

दिव्यमाल्याम्बरधरां दिव्यरत्नविराजिताम् ।
रक्तपद्मकरां देवीं ध्यायेत् पुष्टिं हरिप्रियाम् ॥ ११।२६४ ॥